MP में जनजातियों का भौगोलिक विस्ताार | Geographical Distribution of Tribes in MP
Geographical Distribution of Tribes in MP
मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्ताार
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मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्ताार से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :
मध्यप्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों को मुख्यतः तीन क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता है :- मध्य क्षेत्र, चंबल क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र।
- मध्य क्षेत्र:- मध्य क्षेत्र के तहत होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मण्डला, डिंडोरी, रायसेन आदि जिलों में गोंड, बैगा, कोल, कोरकू, परधान, भारिया और मुरिया निवास करते है।
- पश्चिम क्षेत्र:- अपने नाम के अनुरूप ही राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित झाबुआ, धार, खरगोन, बड़वानी एवं रतलाम जिलों में भील, भिलाला, पटलिया, बारेला, तड़वी का बसेरा है।
- चंबल क्षेत्र:- राज्य के ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, श्योपुर और शिवपुरी को समेटने वाले इस क्षेत्र में विशेष पिछड़ी सहरिया जनजाति का निवास है।
मध्य प्रदेश की जनजातियों का विवरण
राज्य में जनजाति की जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत अलीराजपुर जिले में है जबकि सबसे कम जनजाति प्रतिशत भिण्ड जिले में है। ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का उल्लेख सबसे पहले ‘भारत सरकार अधिनियम, 1935’ में किया गया था, बाद में इसे 1950 में भारतीय संविधान में शामिल किया गया। आदिवासी शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर ने किया था, जिन्हें ‘ठक्कर बापा’ के नाम से जाना जाता है।
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनजातीय आबादी है और यहां 46 मान्यता प्राप्त जनजातियां और 3 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह हैं। इनकी उपजातियों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 90 है। मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ जनसंख्या इन जनजातियों की है, जो अब भी भारत में सर्वाधिक है । जनगणना-2011 के अनुसार, भील मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है और राज्य की कुल आदिवासी जनसंख्या का 39.08% है। प्रदेश में कुल 89 आदिवासी विकासखंड स्थापित हैं।