MPPSC PRE UNIT -10

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मध्यप्रदेश की जनजातियाँ 

MPPSC PRE UNIT-10 TRIBES


मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्तार, जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान। (MPPSC PRE UNIT-10 )
मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ, विशेष पिछड़ी जनजातियाँ एवं घुमन्तू जातियाँ, जनजातियों के कल्याण के लिए योजनाएँ।
मध्यप्रदेश की जनजातीय संस्कृति- परम्पराएँ, विशिष्ट कलाएँ, त्यौहार, उत्सव, भाषा, बोली एवं साहित्य।
मध्यप्रदेश की जनजातियों का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान एवं राज्य के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व। मध्यप्रदेश में जनजातियों से संबंधित प्रमुख संस्थान, संग्रहालय, प्रकाशन।
मध्यप्रदेश की लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य। (MPPSC PRE UNIT-10 TRIBES)

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MadhyaPradesh Ki Pramukh Janjatiyan | Tribes in MP |MPPSC Prelims Unit 10

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मध्यप्रदेश की जनजातियाँ | भील जनजाति | MPPSC PRE UNIT 10

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Major Committees Related to Tribes | MPPSC Prelims Unit 10 In Hindi

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भारत में जनजातियाँ समुदायों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान | Constitutional Provisions Related to Tribes

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MP में जनजातियों का भौगोलिक विस्ताार | Geographical Distribution of Tribes in MP

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Geographical Distribution of Tribes in MP

मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्ताार


Hello दोस्तों स्वागत है आपका Shri Vedanta Academy (Best MPPSC Coaching in Indore) ,इस पोस्ट के माध्यम से हम मध्यप्रदेश की जनजातियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे जो आपको आगामी परीक्षाओं में निश्चित से सहयोगी सिद्ध होगा , अगर आपको ये पोस्ट पसंत आती है तो अपने मित्रों और परीक्षा समूहों मे अवश्य शेयर कीजिएगा ।


मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्ताार से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :

मध्यप्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों को मुख्यतः तीन क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता है :- मध्य क्षेत्र, चंबल क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र।

  1. मध्य क्षेत्र:- मध्य क्षेत्र के तहत होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मण्डला, डिंडोरी, रायसेन आदि जिलों में गोंड, बैगा, कोल, कोरकू, परधान, भारिया और मुरिया निवास करते है।
  2. पश्चिम क्षेत्र:- अपने नाम के अनुरूप ही राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित झाबुआ, धार, खरगोन, बड़वानी एवं रतलाम जिलों में भील, भिलाला, पटलिया, बारेला, तड़वी का बसेरा है।
  3. चंबल क्षेत्र:- राज्य के ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, श्योपुर और शिवपुरी को समेटने वाले इस क्षेत्र में विशेष पिछड़ी सहरिया जनजाति का निवास है।

मध्य प्रदेश की जनजातियों का विवरण 


राज्य में जनजाति की जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत अलीराजपुर जिले में है जबकि सबसे कम जनजाति प्रतिशत भिण्ड जिले में है। ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का उल्लेख सबसे पहले ‘भारत सरकार अधिनियम, 1935’ में किया गया था, बाद में इसे 1950 में भारतीय संविधान में शामिल किया गया। आदिवासी शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर ने किया था, जिन्हें ‘ठक्कर बापा’ के नाम से जाना जाता है।

मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनजातीय आबादी है और यहां 46 मान्यता प्राप्त जनजातियां और 3 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह हैं। इनकी उपजातियों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 90 है। मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ जनसंख्या इन जनजातियों की है, जो अब भी भारत में सर्वाधिक है । जनगणना-2011 के अनुसार, भील मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है और राज्य की कुल आदिवासी जनसंख्या का 39.08% है। प्रदेश में कुल 89 आदिवासी विकासखंड स्‍थापित हैं।

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