भारत में जनजातियाँ समुदायों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान Constitutional Provisions Related to Tribes
Hello दोस्तों स्वागत है आपका Shri Vedanta Academy (Best MPPSC Coaching in Indore) ,इस पोस्ट के माध्यम से हम MPPSC PRELIMS UNIT 10 – TRIBES मध्यप्रदेश की जनजातियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे जो आपको आगामी परीक्षाओं में निश्चित से सहयोगी सिद्ध होगा , अगर आपको ये पोस्ट पसंद आती है तो अपने मित्रों और परीक्षा समूहों मे अवश्य शेयर कीजिएगा ।
भारत में जनजातियाँ समुदायों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 342 – अनुसूचित जनजातियाँ (Tribes)
(1) राष्ट्रपति किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में, और जहां यह एक राज्य है, वहां के राज्यपाल से परामर्श के बाद, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, जनजातियों या जनजातीय समुदायों या जनजातियों या जनजातीय समुदायों के हिस्सों या समूहों को निर्दिष्ट कर सकते हैं जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियों के रूप में समझा जाएगा, जैसा भी मामला हो।
(2) संसद कानून द्वारा खंड (1) के तहत जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल या बाहर कर सकती है किसी भी जनजाति या आदिवासी समुदाय या किसी जनजाति या आदिवासी समुदाय के भीतर या समूह, लेकिन जैसा कि पूर्वोक्त अधिसूचना को छोड़कर उक्त खंड के तहत जारी किसी भी बाद की अधिसूचना द्वारा परिवर्तित नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 366(25) – अनुसूचित जनजातियों का अर्थ है ऐसी जनजातियाँ या जनजातीय समुदाय या ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों के हिस्से या समूह जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अनुच्छेद – 338 (A)
भारतीय संविधान सभी नागरिकों को यह गारंटी प्रदान करता है कि किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। संविधान में कुछ विशिष्ट प्रावधान हैं जो अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों एवं कल्याण से सम्बंधित है:
गठन – 2003 में पारित 89वां संविधान संशोधन के अंतर्गत 19 फरवरी 2004 में किया गया और इसे अनुच्छेद 338 (A) के अंतर्गत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की संरचना :-
- अनुसूचित जनजातियों के लिए एक आयोग होगा जो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के नाम से ज्ञात होगा।
- आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष तथा 03 अन्य सदस्य होते है जिनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- आयोग के सदस्यों का कार्यकाल एवं सेवाशर्ते राष्ट्रपति के द्वारा निर्धारित की जाती है।
- यह आयोग एक संवैधानिक निकाय है और भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकार
- अनुच्छेद 15(4) अनुसूचित जनजातियों की शैक्षिक उन्नति के लिए विशेष प्रावधानों को सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 46 राज्य को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने और उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से संरक्षित करने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 350 विशिष्ट भाषाओं, लिपियों या संस्कृतियों के संरक्षण के अधिकारों का प्रावधान करता है।
आर्थिक अधिकार
- अनुच्छेद 275 पांचवीं और छठी अनुसूची के अंतर्गत निर्दिष्ट राज्यों (एसटी और एससी) को सहायता अनुदान का प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 244(1) छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के अतिरिक्त अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करता है।
जनजाति संबंधी अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान ::
- अनुच्छेद 338A :- इसमें अनुसूचित जनजातियों के लिए लिए एक आयोग होगा जिसे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के रूप में जाना जाएगा।
- अनुच्छेद 243D :- पंचायतों में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
राज्य विशेष प्रावधान –
- अनुच्छेद 371(A) – नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 371(B) – असम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 371(C) – मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 371(F) – सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 371(G) – मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 371(H) – अरूणाचलप्रदेश राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।
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