MadhyaPradesh Ki Pramukh Janjatiyan
Tribes in MP
MPPSC Prelims Unit 10
Hello दोस्तों स्वागत है आपका Shri Vedanta Academy (Best MPPSC Coaching in Indore) ,इस पोस्ट के माध्यम से हम MPPSC PRELIMS UNIT 10 – TRIBES मध्यप्रदेश की जनजातियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे जो आपको आगामी परीक्षाओं में निश्चित से सहयोगी सिद्ध होगा , अगर आपको ये पोस्ट पसंद आती है तो अपने मित्रों और परीक्षा समूहों मे अवश्य शेयर कीजिएगा । (MPPSC PRE UNIT 10)
Note :: इस पोस्ट को लगातार नयी जानकारी के साथ अपडेट किया जाएगा एवं डाटा जोड़ा जाएगा …….!!!
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनजातीय आबादी है राज्य में जनजाति की जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत अलीराजपुर जिले में है जबकि सबसे कम जनजाति प्रतिशत भिण्ड जिले में है। ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का उल्लेख सबसे पहले ‘भारत सरकार अधिनियम, 1935’ में किया गया था, बाद में इसे 1950 में भारतीय संविधान में शामिल किया गया। आदिवासी शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर ने किया था, जिन्हें ‘ठक्कर बापा’ के नाम से जाना जाता है।
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वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश भारत का सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाला राज्य है ।प्रदेश में अधिकतम जनजातीय जनसंख्या वाला जिला धार (12,22,814) है . मध्यप्रदेश की तीन सबसे बड़ी जनजातियाँ क्रमशः भील, गोंड और कोल हैं. 2003 में पारित 89वां संविधान संशोधन के अंतर्गत 19 फरवरी 2004 में किया गया और इसे अनुच्छेद 338 (A) के अंतर्गत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। (MPPSC Pre Unit 10)
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मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजातियां
मध्यप्रदेश में जनजातियों के विभिन्न प्रकार पाए जाते हैं और जनसंख्या की दृष्टि से मध्यप्रदेश का प्रथम स्थान है , मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ गोंड भील और कोल हैं।
1. भील जनजाति :
- भील जनजाति की उत्पत्ति संस्कृत शब्द भिल्ल/विल्ल/विल्लुर से मानी जाती है।
- भील जनसंख्या में मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है।
- भील मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है।
- कर्नल जेम्स टोंड ने भीलो को वन पुत्र कहा है।
- इनके निवास फाल्या/फल्या कहलाते है।
- भीलों के मकानों को ‘कू’ कहते हैं।
- भिलाला ,भीलों की सबसे बड़ी उपजाति है।
- भीलों में विवाह पद्धतियां – भागोरिया ,गोलगधेड़ों ,अपहरण ,नातरा विवाह इत्यादि प्रचलित हैं ।
- भीलों के प्रमुख नृत्य – भागोरिया नृत्य , गोल गधेड़ो ,घूमर ,गरबा ,दोहिया नृत्य ।
- भीलों के प्रमुख पर्व – भागोरिया ,दिवासा ,जातर पर्व ।
- बाबदेव – भीलों के प्रमुख देव है इन्हे इन्द्रदेव भी कहते है। बाबदेव के नाम से दीवासा मनाते है।
2 . गोंड जनजाति
- गोण्ड जनजाति : जनसंख्या की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी जनजाति है।
- गोण्ड जनजाति : भारत की सबसे बड़ी एवं मध्यप्रदेश की दूसरी बड़ी जनजाति है।
- गोण्ड जनजाति की स्थानान्तरित कृषि ‘बारी’ कहलाती है।
- गोडों के प्रमुख देवता ‘बड़ा देव’ साज वृक्ष पर रहते हैं ।
- गोंड जनजातियों की उपजातियाँ – अगरिया ,ओझा ,सोलहस हैं ।
- गोंड जनजाति में विवाह – दूध लौटावा ,लमसेना ,पठौनी विवाह प्रचलित हैं ।
- गोंड जनजाति में प्रमुख पर्व – लारुकाज पर्व (नारायण देव को प्रसन्न करने के लिए ), मढ़ई ,जवारा प्रमुख पर्व हैं ।
- नोहडोरा अंलकरण : गोण्ड जनजाति मुख्यतः से एवं बैगा एवं भारिया जनजाति में भी ।
- गोंड जनजाति के प्रमुख नृत्य : करमा ,सैला ,रीना ,परधोनी ,दादरिया प्रमुख हैं ।
- घोटूल गोण्ड समाज में प्रचलित रीति-रिवाजों के प्रशिक्षण का एक केन्द्र होता हैं .
3 . कोल जनजाति
- मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है ।
- कोल जनजाति के प्रमुख देवता ठाकुर देव है ।
- रोहिया ,रौतेला इसकी उपजातियाँ है ।
- कोल जनजाति की पंचायत को गोहिया कहते हैं ।
- कोल जनजाति की अर्थव्यवस्था का मुख्य भाग कोयला खाने है ।
- मध्यप्रदेश के पूर्वी जिलों में विस्तार ।
4 . कोरकू जनजाति
- कोरकू जनजाति के प्रमुख देवता मेघनाथ है ।
- कोरकू जनजाति की प्रमुख उपजातियाँ – बावरिया ,बंदोरिया इत्यादि हैं ।
- प्रमुख नृत्य – चटकोरा हैं ।
- खंब स्वांग कोरकू जनजाति का प्रसिद्ध नाट्य है ।
- सिडोली प्रथा कोरकू जनजाति मे मृतक संस्कार है ।
5. पनिका जनजाति
- यह कबीरपंथी जनजाति है ।
- इनकी अर्थव्यवस्था का आधार कपड़ा बुनाई है ।
- इस जनजाति के लोगों को कबीरहा भी कहा जाता है ।
- पनिका जनजाति के गोत्र को कुर कहा जाता है ।
6. उराँव जनजाति
- इस जनजाति का अन्य नाम कुरुख भी है ।
- इस जनजाति का प्रमुख नृत्य सरहुल है ।
- महतो इस जनजाति के मुखिया को कहा जाता है ।
- इस जनजाति का युवागृह धूमकोरिया कहलाता है ।
7. खैरवार जनजाति
- इस जनजाति का प्रमुख कार्य खैर के वृक्ष से कत्था बनाना है ।
8 . पारधी जनजाति
- भोपाल रायसेन के क्षेत्र में पाई जाती है
- उपजातियाँ -बहेलिया लंगोटी
9. हलबा जनजाति
- प्रमुख रूप से बालाघाट जिलें मे पाई जाति है ।
10 . बंजारा जनजाति
- सर्वाधिक श्रंगार प्रिय जनजाति
- कंघा के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है ।
- प्रमुख नृत्य कालबेलिया है ।
अन्य जनजातियाँ अपडेट की जा रहीं है.. ।।
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